भक्तिकाल
हिन्दी साहित्य के इतिहास में सं. १३७५ से सं. १७०० तक का काल भक्तिकाल के नाम से प्रसिद्ध है। इस युग में हिन्दी काव्य की सर्वतोमुखी उन्नति हुई। इस युग में अनेक प्रतिभाशाली कलाकार हिन्दी काव्य को अलंकृत करने … Read More
कृष्ण भक्ति शाखा के कवियों में अष्टछाप कवियों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा सकता है। इसमें सूरदास, नन्ददास और कुम्भनदास मुख्य हैं। इसके अतिरिक्त इस शाखा में मीरा … Read More
प्रेमाख्यान परम्परा- भारत में प्रेमाख्यानों की परम्परा अत्यन्त प्राचीन एवं पुष्ट है, महाभारत तथा अनक पुराणों में निहित प्रेमाख्यान परम्परा के आधार पर कुछ विद्वान तो यहाँ तक कहने लगे हैं कि प्रेमाख्यान की परम्परा भारत की देन है और … Read More
ज्ञानाश्रयी शाखा भक्तिकालीन निर्गुण काव्यधारा की एक शाखा है। ज्ञानाश्रयी शाखा के काव्यों में साधना एवं ज्ञान की श्रेष्ठता का भाव अभिव्यक्त हुआ है।
कबीर दास जी इस शाखा के प्रमुख कवि थे। भक्ति काल के … Read More
यह एक अत्यंत विचारणीय प्रश्न है। वैसे तो समस्त साहित्य एक प्रवाहमान धारा के सदृश होता है। और इसका विभाजन कठिन ही नहीं दुसाध्य भी होता है, फिर भी अध्ययन … Read More