द्विवेदी युग और द्विवेदी युग की नवजागरण परक चेतना

द्विवेदी युग और द्विवेदी युग की नवजागरण परक चेतना

द्विवेदी युग द्विवेदी युग का नामकरण प्रसिद्ध सर्वस्वीकृत साहित्य नेता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर हुआ। इसे जागरण सुधार काल भी कहा जाता है। भारतीय इतिहास में यह काल ब्रिटिश शासन के दमनचक्र व कूटनीति का काल है। इस युग में दो धाराएँ चल रही थीं अनुशासनवादी व स्वच्छन्दतावादी अनुशासनवादी धारा साहित्य की…

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भारतेन्दु युगीन काव्य प्रवृत्तियाँ II भारतेन्दु युगीन काव्य की विशेषता

भारतेन्दु युगीन काव्य की विशेषता / प्रवृत्तियाँ || bharatendu yug ki visheshta ya pravritti

भारतेन्दु युगीन काव्य (bharatendu yug ki visheshta ya pravritti) भारतेन्दु युगीन कवियों का काव्यफलक अत्यन्त विस्तृत है उनकी रचना प्रवृत्तियाँ एक ओर भक्तिकाल और रीतिकाल से अनुबद्ध हैं, तो दूसरी ओर समकालीन परिवेश के प्रति जागरूकता का भी अभाव नहीं है। भारतेन्दु युगीन काव्य प्रवृत्तियाँ / भारतेन्दु युगीन काव्य की विशेषता प्रवृत्तियों का विश्लेषण निम्नलिखित शीर्षकों…

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भारतेन्दु युग और भारतेंदु युग के प्रमुख कवि और रचनाएँ

भारतेन्दु युग और भारतेंदु युग के प्रमुख कवि और रचनाएँ bhartendu yug ke pramukh kavi aur rachnayen

भारतेन्दु युग आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के रचनाकाल को दृष्टि में रखकर संवत् 1925 से 1950 की अवधि को नई धारा या प्रथम उत्थान की संज्ञा दी। भारतेन्दु युग की व्याप्ति मिश्रबन्धुओं ने 1926-1945 विं तक डॉ. रामकुमार वर्मा 1927-1957 विं तक डॉ. केसरी नारायण शुक्ल 1922-1957 विं तक डॉ. रामविलास शर्मा 1925-1957…

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आधुनिक काल का परिचय - हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास - भारतेन्दु युग | 1857 की राज्यक्रान्ति एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण

आधुनिक काल का परिचय – हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास – भारतेन्दु युग | 1857 की राज्यक्रान्ति एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण

आधुनिक काल का परिचय भारतीय इतिहास का आधुनिक काल 19वीं शताब्दी से प्रारम्भ होता है। साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु युग से होता है। आचार्य शुक्ल ने आधुनिक काल की समय-सीमा 1843 ई. से 1923 तक मानी है। आचार्य शुक्ल आधुनिक काल को गद्यकाल, डॉ. रामकुमार वर्मा इसे आधुनिक काल, मिश्र बन्धु इसे…

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घनानंद का जीवन परिचय और साहित्य साधना का परिचय दीजिए।

घनानंद का जीवन परिचय और साहित्य साधना का परिचय दीजिए।

घनानंद का जीवन परिचय ghananand ka jivan parichay काव्य की दृष्टि से घनानन्द कृष्णोपासक भक्त कवियों की पंक्ति में हैं  पर कल – विभाजन की दृष्टि से इनकी गणना रीतिकालीन कवियों में की जाती है। काल इनका जीवन वृत्त भी अन्य कवियों के समान दूसरे कवियों की रचनाओं एवं इतिहासकारों की खोजों के आधार पर…

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केशवदास का साहित्यिक परिचय दीजिए ।

केशवदास का साहित्यिक परिचय दीजिए ।

केशवदास का जीवन परिचय केशवदास समय विभाग के अनुसार भक्तिकाल में आते हैं पर संस्कृत साहित्य से इतने प्रभावित रहे कि तत्कालीन हिन्दी काव्य-धारा से पृथक होकर वे चमत्कारी कवि हो गए तथा हिन्दी में रीतिग्रन्थों की परम्परा के आदि आचार्य माने गए । केशवदास जाति के धनाढ्य ब्राह्मण थे। वे कृष्णदत्त के पौत्र और…

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कविवर बिहारी के जीवन परिचय , भाषा शैली और काव्य कला पर प्रकाश डालते हुए बिहारी सतसई में संकलित दोहों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।

कविवर बिहारी के जीवन परिचय , भाषा शैली और काव्य कला || bihari ke jeevan parichay bhaṣa shailee aur kavyakal

 महाकवि बिहारी का जन्म संवत १६६० में ग्वालियर के समीप बसुआ गोविन्दपुर में हुआ था। आप मथुरा के चौबे थे। इनकी बाल्यावस्था अधिकतर बुन्देलखण्ड में बीती | तरुणावस्था में ये अपनी ससुराल चले आए। श्री राधाकृष्णदास ने इन्हें कविवर केशवदास का पुत्र स्वीकार किया है किन्तु सतसई में कुछ बुन्देलखण्डी शब्दों के प्रयोग से तथा केशव केशवराय से यह बात सिद्ध नहीं होती । मथुरा से ये तत्कालीन जयपुर नरेश महाराजा जयसिंह के पास चले आये वहाँ इन्होंने महाराज के प्रमोद के लिए सतसई की रचना की।

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मीराबाई का जीवन परिचय, रचनाएँ और उनकी काव्यगत विशेषताओं ।

मीराबाई का जीवन परिचय, रचनाएँ और उनकी काव्यगत विशेषताओं ।

हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल (संवत् 1375- 1700) में भक्ति में धारा दो रूपों में प्रवाहित हुई- राम भक्ति और कृष्ण भक्ति। दोनों हे धाराओं को लक्ष्य करके हिन्दी में विपुल साहित्य की रचना की गई। राम-भक्ति धारा के प्रमुख कवि हुए गोस्वामी तुलसीदास। कृष्ण-भक्ति धारा में अवगाहन करके लिखनेवाले अनेक कवि हुए। इनमें सूरदास आदि…

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रसखान का जीवन परिचय, रचनाएँ, काव्यगत विशेषताओं और भाषा शैली पर प्रकाश डालिए ।

रसखान का जीवन परिचय, रचनाएँ, काव्यगत विशेषताओं और भाषा शैली पर प्रकाश डालिए ।

रसखान का जीवन परिचय हिन्दी साहित्य के कृष्ण भक्त कवि रसखान का पूरा नाम सैयद इब्राहीम बताया जाता है। उनका जन्म १५५८ ई. के आसपास राजवंश से सम्बन्धित एक सम्पन्न पठान परिवार में दिल्ली में मूलतः मुसलमान होते हुए भी वे जीवन भर कृष्ण की भक्ति में डूबे रहे। इनकी भगवद्भक्ति को देखकर गोसाईं विट्ठलनाथ…

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मलिक मोहम्मद जायसी का साहित्यिक परिचय । Malik mohammad jaayasee ka saahityik parichay

मलिक मोहम्मद जायसी का साहित्यिक परिचय दीजिए। Malik mohammad jaayasee ka saahityik parichay

मलिक मोहम्मद जायसी का जीवन परिचय प्रेममार्गी कवियों में मलिक मोहम्मद जायसी को सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित किया जाता है। ये इस शाखा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। जायसी का जन्म सन 1492 ई़ के आसपास माना जाता है। जायस स्थान के निवासी होने के कारण ये जायसी कहलाये । अमेठी के राजा इनका…

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