मीराबाई का जीवन परिचय, रचनाएँ और उनकी काव्यगत विशेषताओं ।

मीराबाई का जीवन परिचय, रचनाएँ और उनकी काव्यगत विशेषताओं ।

मीराबाई का जीवन परिचय

   मीराबाई का जन्म सन १४९८ में राजस्थान के कुडकी ग्राम में हुआ। था। इनके पिता का नाम रत्नसिंह तथा दादा का नाम राव दूदा था। बचपन में ही माता का निधन होने के कारण इनका लालन-पालन … Read More

रसखान का जीवन परिचय, रचनाएँ, काव्यगत विशेषताओं और भाषा शैली पर प्रकाश डालिए ।

रसखान का जीवन परिचय, रचनाएँ, काव्यगत विशेषताओं और भाषा शैली पर प्रकाश डालिए ।

रसखान का जीवन परिचय

हिन्दी साहित्य के कृष्ण भक्त कवि रसखान का पूरा नाम सैयद इब्राहीम बताया जाता है। उनका जन्म १५५८ ई. के आसपास राजवंश से सम्बन्धित एक सम्पन्न पठान परिवार में दिल्ली में मूलतः मुसलमान होते हुए भी … Read More

मलिक मोहम्मद जायसी का साहित्यिक परिचय दीजिए। Malik mohammad jaayasee ka saahityik parichay

मलिक मोहम्मद जायसी का साहित्यिक परिचय । Malik mohammad jaayasee ka saahityik parichay

मलिक मोहम्मद जायसी का जीवन परिचय

प्रेममार्गी कवियों में मलिक मोहम्मद जायसी को सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित किया जाता है। ये इस शाखा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। जायसी का जन्म सन 1492 ई़ के आसपास माना जाता है।Read More

तुलसी दास का साहित्यिक परिचय दीजिए । Tulsi das ka sahityik parichay

तुलसी दास का साहित्यिक परिचय दीजिए । Tulsi das ka sahityik parichay

गोस्वामी तुलसी दास जी के जीवन परिचय

  गोस्वामी तुलसी दास जी का जन्म संवत् १५८९ में बाँदा जिले के राजापुर ग्राम में हुआ था । इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हलसी था। रहीम की यह … Read More

सूरदास का साहित्यिक परिचय दीजिए। surdas ka saahityik parichay

सूरदास का साहित्यिक परिचय दीजिए। surdas ka saahityik parichay

सूरदास का जन्म प्रायः संवत १५२९ में सीही नामक ग्राम में माना जाता है। वहाँ से वे रुनकता और गऊघाट पर रहे। एक मत से आप सारस्वत ब्राह्मण गो थे और दूसरे मत से चन्दबरदाई कवि के वंशज । इसी … Read More

कबीरदास के जीवन पर प्रकाश डालिए और कबीरदास का साहित्यिक परिचय प्रदान किजिए ।

kabir das ka saahityik parichay कबीरदास के जीवन परिचय ,कबीरदास का साहित्यिक परिचय

कबीरदास के जीवन परिचय 

     निर्गुण भक्ति की ज्ञानाश्रयी शाखा के सर्वश्रेष्ठ संत कवि कबीर थे। इनके जीवन वृत्त के संबंध में अनेक प्रयाद प्रचलित है। किंवदन्ती है कि एक विधवा ब्राह्मणी कन्या को स्वामी रामानन्द ने भूल से पुत्रवती होने … Read More

भक्तिकाल हिन्दी साहित्य के इतिहास का स्वर्ण युग है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।

Bhaktikal hindi sahitya ke itihaas ka svarṇa yug भक्तिकाल हिन्दी साहित्य के इतिहास का स्वर्ण युग है

भक्तिकाल

हिन्दी साहित्य के इतिहास में सं. १३७५ से सं. १७०० तक का काल भक्तिकाल के नाम से प्रसिद्ध है। इस युग में हिन्दी काव्य की सर्वतोमुखी उन्नति हुई। इस युग में अनेक प्रतिभाशाली कलाकार हिन्दी काव्य को अलंकृत करने … Read More

कृष्णभक्ति शाखा, रामभक्ति शाखा की तुलना करो । Kriṣṇabhakti shakha, rambhakti shakha ki tulana

कृष्णभक्ति शाखा, रामभक्ति शाखा की तुलना करो । Kriṣṇabhakti shakha, rambhakti shakha ki tulana

कृष्णभक्ति शाखा, रामभक्ति शाखा यद्यपि दोनों शाखाओं का प्रचार एवं प्रसार भक्तिकाल में हुआ और दोनों शाखाओं का मुख्य लक्ष्य एक था किंतु दोनों शाखाओं में कुछ समानता और असमानताएँ थीं। यहाँ समानता पर एक दृष्टि डालिए ।

कृष्णभक्ति शाखा,

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भक्तिकाल के कृष्णभक्त शाखा कवियों का जीवन परिचय देते हुए उनके कृतित्व पर प्रकाश डालिए।

भक्तिकाल के कृष्णभक्त शाखा कवियों का जीवन परिचय देते हुए उनके कृतित्व पर प्रकाश डालिए।

भक्तिकाल के कृष्णभक्त शाखा कवियों ने भक्ति की सरिता बताई है ।

कृष्ण भक्ति शाखा के कवियों में अष्टछाप कवियों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा सकता है। इसमें सूरदास, नन्ददास और कुम्भनदास मुख्य हैं। इसके अतिरिक्त इस शाखा में मीरा … Read More

कृष्ण भक्ति शाखा की उत्पत्ति और विकास एवं विशेषताओं और ‘कृष्ण भक्ति शाखा अष्टछाप के कवियों की देन है, जिसमें सूरदास का प्रमुख स्थान है।

कृष्ण भक्ति शाखा की उत्पत्ति और विकास एवं विशेषताओं और 'कृष्ण भक्ति शाखा अष्टछाप के कवियों की देन है, जिसमें सूरदास का प्रमुख स्थान है।

“यदा यदा हि धर्मस्य.. .’ के सिद्धान्त के अनुसार अवतार की कल्पना, गीता से हो चुकी थी। राम को आदि कवि बाल्मीकि ने अंशवतार मान लिया था । कृष्ण का भी अवताराण गीता के समय में हुआ और भगवतपुराण ने … Read More