हिन्दी उपन्यास – प्रेमचन्द और उनका युग

हिन्दी उपन्यास - प्रेमचन्द और उनका युग

उपन्यास की पूर्व-परम्परा ‘उपन्यास’ गद्य का नव-विकसित रूप है जिसमें कथा-वस्तु, बरित्र-चित्रण, संवाद आदि के तत्त्वों के माध्यम से यथार्थ और कल्पना मिश्रित कहानी आकर्षक शैली में प्रस्तुत की जाती है। उपन्यास का उद्भव यूरोप में रोमांटिक कथा साहित्य में … Read More

छायावादी काव्य की विशेषताएँ || chayavaad kavya ki viseshtaayen

छायावादी काव्य की विशेषताएँ || chayavaad kavya ki viseshtaayen

आत्म अभिव्यक्ति

छायावादी कविता में कवियों ने अपने व्यक्तिगत जीवन के निजी प्रसंगों को खोजने का प्रयास किया। अपनी भावनाओं की खुलकर अभिव्यक्ति इन्होंने की। सुख-दुःख से परिपूर्ण कविताएँ खूब लिखी गई। जयशंकर प्रसाद कृत आँसू व पन्त कृत उच्छवास … Read More

महावीर प्रसाद द्विवेदी : द्विवेदी युग और द्विवेदीयुगीन काव्यगत विशेषताएँ

महावीर प्रसाद द्विवेदी द्विवेदी युग और द्विवेदीयुगीन काव्यगत विशेषताएँ

महावीर प्रसाद द्विवेदी और द्विवेदी युग

द्विवेदी युग के प्रवर्तक कवि महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म 1864 ई. में रायबरेली के दौलतपुर नामक ग्राम में हुआ। इन्हीं के नाम पर द्विवेदी युग का नामकरण हुआ। 1903 ई. में ये सरस्वती … Read More

द्विवेदी युग और द्विवेदी युग की नवजागरण परक चेतना

द्विवेदी युग और द्विवेदी युग की नवजागरण परक चेतना

द्विवेदी युग

द्विवेदी युग का नामकरण प्रसिद्ध सर्वस्वीकृत साहित्य नेता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर हुआ। इसे जागरण सुधार काल भी कहा जाता है। भारतीय इतिहास में यह काल ब्रिटिश शासन के दमनचक्र व कूटनीति का काल है। … Read More

भारतेन्दु युगीन काव्य की विशेषता / प्रवृत्तियाँ || bharatendu yug ki visheshta ya pravritti

भारतेन्दु युगीन काव्य प्रवृत्तियाँ II भारतेन्दु युगीन काव्य की विशेषता

भारतेन्दु युगीन काव्य (bharatendu yug ki visheshta ya pravritti)

भारतेन्दु युगीन कवियों का काव्यफलक अत्यन्त विस्तृत है उनकी रचना प्रवृत्तियाँ एक ओर भक्तिकाल और रीतिकाल से अनुबद्ध हैं, तो दूसरी ओर समकालीन परिवेश के प्रति जागरूकता का भी अभाव नहीं … Read More

भारतेन्दु युग और भारतेंदु युग के प्रमुख कवि और रचनाएँ bhartendu yug ke pramukh kavi aur rachnayen

भारतेन्दु युग और भारतेंदु युग के प्रमुख कवि और रचनाएँ

भारतेन्दु युग

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के रचनाकाल को दृष्टि में रखकर संवत् 1925 से 1950 की अवधि को नई धारा या प्रथम उत्थान की संज्ञा दी।

भारतेन्दु युग की व्याप्ति

  • मिश्रबन्धुओं ने 1926-1945 विं तक
  • डॉ. रामकुमार
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आधुनिक काल का परिचय – हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास – भारतेन्दु युग | 1857 की राज्यक्रान्ति एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण

आधुनिक काल का परिचय - हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास - भारतेन्दु युग | 1857 की राज्यक्रान्ति एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण

आधुनिक काल का परिचय

भारतीय इतिहास का आधुनिक काल 19वीं शताब्दी से प्रारम्भ होता है। साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु युग से होता है। आचार्य शुक्ल ने आधुनिक काल की समय-सीमा 1843 ई. से 1923 तक मानी है। … Read More