प्रारंभिक हिन्दी कहानियों का विकास प्रमुख लेखक और उनकी रचनाएँ

प्रारंभिक हिन्दी कहानियों का विकास: प्रमुख लेखक और उनकी रचनाएँ

प्रारम्भिक हिन्दी कहानियों का विवरण हिन्दी गद्य में कहानी शीर्षक से प्रकाशित होने वाली सबसे पहली रचना रानी केतकी की कहानी है, जो 1803 ई. में इंशा अल्ला खाँ द्वारा लिखी गई। आधुनिक ढंगा कानी केतकी की आरम्भ आचार्य शुक्ल ने सरस्वती पत्रिका के प्रकाशन-काल से माना है। उन्हकहानियों का कहानियों का विवरण इस प्रकार…

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हिन्दी उपन्यास - प्रेमचन्द और उनका युग

हिन्दी उपन्यास – प्रेमचन्द और उनका युग

उपन्यास की पूर्व-परम्परा ‘उपन्यास’ गद्य का नव-विकसित रूप है जिसमें कथा-वस्तु, बरित्र-चित्रण, संवाद आदि के तत्त्वों के माध्यम से यथार्थ और कल्पना मिश्रित कहानी आकर्षक शैली में प्रस्तुत की जाती है। उपन्यास का उद्भव यूरोप में रोमांटिक कथा साहित्य में हुआ जो मूलतः भारतीय प्रेमाख्यानों से प्रेरित था। हिन्दी में उपन्यास आविर्भाव 19वीं शताब्दी के…

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छायावादी काव्य की विशेषताएँ || chayavaad kavya ki viseshtaayen

छायावादी काव्य की विशेषताएँ || chayavaad kavya ki viseshtaayen

आत्म अभिव्यक्ति छायावादी कविता में कवियों ने अपने व्यक्तिगत जीवन के निजी प्रसंगों को खोजने का प्रयास किया। अपनी भावनाओं की खुलकर अभिव्यक्ति इन्होंने की। सुख-दुःख से परिपूर्ण कविताएँ खूब लिखी गई। जयशंकर प्रसाद कृत आँसू व पन्त कृत उच्छवास इसका उदाहरण है पन्त जी अपनी प्रियतमा को पूजने की बात करते हैं विधुर उर…

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महावीर प्रसाद द्विवेदी द्विवेदी युग और द्विवेदीयुगीन काव्यगत विशेषताएँ

महावीर प्रसाद द्विवेदी : द्विवेदी युग और द्विवेदीयुगीन काव्यगत विशेषताएँ

महावीर प्रसाद द्विवेदी और द्विवेदी युग द्विवेदी युग के प्रवर्तक कवि महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म 1864 ई. में रायबरेली के दौलतपुर नामक ग्राम में हुआ। इन्हीं के नाम पर द्विवेदी युग का नामकरण हुआ। 1903 ई. में ये सरस्वती पत्रिका के सम्पादक बने, 1920 ई. तक इस पत्रिका के सम्पादक बने रहे। गद्य लेखन…

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द्विवेदी युग और द्विवेदी युग की नवजागरण परक चेतना

द्विवेदी युग और द्विवेदी युग की नवजागरण परक चेतना

द्विवेदी युग द्विवेदी युग का नामकरण प्रसिद्ध सर्वस्वीकृत साहित्य नेता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर हुआ। इसे जागरण सुधार काल भी कहा जाता है। भारतीय इतिहास में यह काल ब्रिटिश शासन के दमनचक्र व कूटनीति का काल है। इस युग में दो धाराएँ चल रही थीं अनुशासनवादी व स्वच्छन्दतावादी अनुशासनवादी धारा साहित्य की…

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भारतेन्दु युगीन काव्य प्रवृत्तियाँ II भारतेन्दु युगीन काव्य की विशेषता

भारतेन्दु युगीन काव्य की विशेषता / प्रवृत्तियाँ || bharatendu yug ki visheshta ya pravritti

भारतेन्दु युगीन काव्य (bharatendu yug ki visheshta ya pravritti) भारतेन्दु युगीन कवियों का काव्यफलक अत्यन्त विस्तृत है उनकी रचना प्रवृत्तियाँ एक ओर भक्तिकाल और रीतिकाल से अनुबद्ध हैं, तो दूसरी ओर समकालीन परिवेश के प्रति जागरूकता का भी अभाव नहीं है। भारतेन्दु युगीन काव्य प्रवृत्तियाँ / भारतेन्दु युगीन काव्य की विशेषता प्रवृत्तियों का विश्लेषण निम्नलिखित शीर्षकों…

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भारतेन्दु युग और भारतेंदु युग के प्रमुख कवि और रचनाएँ

भारतेन्दु युग और भारतेंदु युग के प्रमुख कवि और रचनाएँ bhartendu yug ke pramukh kavi aur rachnayen

भारतेन्दु युग आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के रचनाकाल को दृष्टि में रखकर संवत् 1925 से 1950 की अवधि को नई धारा या प्रथम उत्थान की संज्ञा दी। भारतेन्दु युग की व्याप्ति मिश्रबन्धुओं ने 1926-1945 विं तक डॉ. रामकुमार वर्मा 1927-1957 विं तक डॉ. केसरी नारायण शुक्ल 1922-1957 विं तक डॉ. रामविलास शर्मा 1925-1957…

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आधुनिक काल का परिचय - हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास - भारतेन्दु युग | 1857 की राज्यक्रान्ति एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण

आधुनिक काल का परिचय – हिन्दी गद्य का उद्भव और विकास – भारतेन्दु युग | 1857 की राज्यक्रान्ति एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण

आधुनिक काल का परिचय भारतीय इतिहास का आधुनिक काल 19वीं शताब्दी से प्रारम्भ होता है। साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु युग से होता है। आचार्य शुक्ल ने आधुनिक काल की समय-सीमा 1843 ई. से 1923 तक मानी है। आचार्य शुक्ल आधुनिक काल को गद्यकाल, डॉ. रामकुमार वर्मा इसे आधुनिक काल, मिश्र बन्धु इसे…

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