कबीरदास का जीवन परिचय, रचनाएं, भाषा शैली और उनके साहित्य का योगदान

कबीरदास का जीवन परिचय, रचनाएं, भाषा शैली और उनके साहित्य का योगदान
भारतीय भक्ति आंदोलन में संत कबीरदास का स्थान सर्वोपरि है। वे निर्गुण भक्ति की ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि थे। ...
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रीतिकाल के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं ritikal ke kavi aur unki rachnaen

रीतिकाल के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं ritikal ke kavi aur unki rachnaen
हिंदी का रीतिकाल (1650-1850) भारतीय काव्य की महत्वपूर्ण धारा है, जो विशेष ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से उत्पन्न हुआ था। इस काल ...
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भक्तिकाल: हिन्दी साहित्य के स्वर्ण युग की समीक्षा

भक्तिकाल: हिन्दी साहित्य के स्वर्ण युग की समीक्षा
भक्तिकाल, हिन्दी साहित्य के इतिहास का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और स्वर्ण युग माना जाता है। यह काल लगभग सं. 1375 ...
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कृष्णभक्ति शाखा, रामभक्ति शाखा की तुलना Kriṣṇabhakti shakha, ram bhakti shakha ki tulna

कृष्णभक्ति शाखा, रामभक्ति शाखा की तुलना करो । Kriṣṇabhakti shakha, rambhakti shakha ki tulana
कृष्णभक्ति शाखा, रामभक्ति शाखा यद्यपि दोनों शाखाओं का प्रचार एवं प्रसार भक्तिकाल में हुआ और दोनों शाखाओं का मुख्य लक्ष्य ...
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भक्तिकाल के कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ

भक्तिकाल के कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ
कृष्ण भक्ति शाखा के कवियों में अष्टछाप कवियों को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा सकता है। इसमें सूरदास, नन्ददास और कुम्भनदास ...
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कृष्ण भक्ति शाखा की विशेषताओं और ‘कृष्ण भक्ति शाखा अष्टछाप के कवियों Krishna bhakti shakha

कृष्ण भक्ति शाखा की विशेषताओं और 'कृष्ण भक्ति शाखा अष्टछाप के कवियों Krishna bhakti shakha
“यदा यदा हि धर्मस्य.. .’ के सिद्धान्त के अनुसार अवतार की कल्पना, गीता से हो चुकी थी। राम को आदि ...
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राम भक्ति के प्रचार प्रसार में तुलसीदास जी का योगदान ram bhakti me tulsidas ka yogdan

राम भक्ति के प्रचार प्रसार में तुलसीदास जी का योगदान
राम भक्ति के प्रचार प्रसार  यद्यपि कृष्ण भक्ति के सामने राम भक्ति का उतना प्रचार नहीं हुआ किन्तु राम भक्ति ...
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प्रेममार्गी शाखा की प्रमुख विशेषताएं / प्रेममार्गी शाखा के कवि और उनकी रचनाएँ

premamaargee-shaakha-ke-pradhaan-kaviyon-ka-parichayप्रेममार्गी शाखा की प्रमुख विशेषताएं प्रेममार्गी तथा शाखा के कवि और उनकी रचनाएँ
भारत में प्रेमाख्यानों की परम्परा अत्यन्त प्राचीन और पुष्ट रही है, जो महाभारत और पुराणों में स्पष्ट रूप से मिलती ...
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ज्ञानाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताएं gyanmargi shakha ki visheshtayen

ज्ञानाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताएं gyanmargi shakha ki visheshtayen
ज्ञानाश्रयी शाखा भक्ति कालीन निर्गुण काव्यधारा की एक प्रमुख शाखा है, जो विशेष रूप से साधना और ज्ञान के महत्व ...
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आदि काल के नामकरण और आदि काल की भाषा शैली aadikal ka namkaran

आदि काल के नामकरण और आदि काल की भाषा शैली aadikal ka namkaran
हिंदी साहित्य का आदि काल वह प्रारंभिक काल है, जब हिंदी साहित्य की नींव रखी गई थी। इस काल का ...
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