सिद्ध तथा नाथ साहित्य की विशेषताओं को प्रतिपादित करते हुए उनके प्रदेयों का आकलन कीजिए ।
दसवीं शताब्दी में पूर्व ही बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा का प्रचार भारत के पूर्वी भागों में बहुत अधिक था। ये बिहार आसाम तक फैले थे और चौरासी सिद्ध इन्हीं में से हुए हैं, जिनका चमत्कारों से जनता को अब तक है। ये बौद्ध सिद्ध तान्त्रिक होते थे और अपने अलौकिक चमत्कारों से जनता को…