सिद्ध तथा नाथ साहित्य की विशेषताओं को प्रतिपादित करते हुए उनके प्रदेयों का आकलन कीजिए ।

दसवीं शताब्दी में पूर्व ही बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा का प्रचार भारत के पूर्वी भागों में बहुत अधिक था। ये बिहार आसाम तक फैले थे और चौरासी सिद्ध इन्हीं में से हुए हैं, जिनका चमत्कारों से जनता को अब तक है। ये बौद्ध सिद्ध तान्त्रिक होते थे और अपने अलौकिक चमत्कारों से जनता को…

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हिन्दी साहित्य के इतिहास की लेखन पद्धतियाँ और हिन्दी साहित्य के इतिहासकार ।

वास्तव में 19वीं शताब्दी को हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन का सूत्रपात माना जाता है। हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा की शुरुआत भी गार्सी दातासी ने की जोकि एक फ्रेंच विद्वान् थे। उनकी इस लेखन परम्परा की शुरुआत उनके द्वारा रचित ग्रन्थ ‘इस्त्वार द ला लिटरेत्यूर ऐन्दुई ऐन्दुस्तानी’ से हुई। यह दो भागों…

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हिन्दी साहित्य का इतिहास दर्शन और साहित्य के विकास के प्रमुख बिन्दु

हिन्दी साहित्य का इतिहास दर्शन और साहित्य के विकास के प्रमुख बिन्दु

साहित्य का इतिहास दर्शन इतिहास के समानार्थक ‘हिस्ट्री’ (History) शब्द का प्रयोग यूनानी विद्वान् हेरोडोटस (456-445 ई.पू.) ने किया। हेरोडोटस महोदय ने इतिहास के चार प्रमुख लक्षण निर्धारित करते हुए बताया कि 1. इतिहास एक वैज्ञानिक विधा है अर्थात् इसकी पद्धति आलोचनात्मक होती है। 2. यह मानव जाति से सम्बन्धित होता है, अतः यह एक…

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हिन्दी साहित्य के आदि काल की प्रमुख प्रवृत्तियों का विवेचन करते हुए आदि काल के नामकरण की चर्चा कीजिए ।

हिन्दी साहित्य के आदि काल की प्रमुख प्रवृत्तियों का विवेचन करते हुए आदि काल के नामकरण की चर्चा कीजिए ।

हिन्दी साहित्य के आदि काल  आदि काल के नामकरण के बारे में विद्वानों में व्यापक मतभेद है। युद्धों में वीरता अथवा शीर्थ-प्रदर्शन की विशेष प्रवृत्ति को लक्ष्य करके तथा वीर रस प्रधान चरित-काव्यों की बहुलता देखकर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने आदिकाल का नामकरण वीरगाथा का किया किन्तु परवर्ती विद्वानों को शुक्ल जी का यह मत…

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हिन्दी साहित्य का काल विभाजन और नामकरण का संक्षिप्त परिचय । hindi sahitya ka kaal vibhajan aur naamkaran

हिन्दी साहित्य का काल विभाजन और नामकरण का संक्षिप्त परिचय । hindi sahitya ka kaal vibhajan aur naamkaran

हिन्दी साहित्य का काल विभाजन का क्या आधार है ?  यह एक अत्यंत विचारणीय प्रश्न है। वैसे तो समस्त साहित्य एक प्रवाहमान धारा के सदृश होता है। और इसका विभाजन कठिन ही नहीं दुसाध्य भी होता है, फिर भी अध्ययन की.. सुविधा के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है। हिन्दी साहित्य के प्रायः सभी इतिहासकारों ने…

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