हिन्दी उपन्यास – प्रेमचन्द और उनका युग

उपन्यास की पूर्व-परम्परा ‘उपन्यास’ गद्य का नव-विकसित रूप है जिसमें कथा-वस्तु, बरित्र-चित्रण, संवाद आदि के तत्त्वों के माध्यम से यथार्थ ...
Read moreहिन्दी साहित्य के इतिहास की लेखन पद्धतियाँ और हिन्दी साहित्य के इतिहासकार ।

हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परंपरा का आरंभ 19वीं शताब्दी में हुआ, जिसे हिन्दी साहित्य के ऐतिहासिक अध्ययन का ...
Read moreहिन्दी साहित्य का इतिहास दर्शन और साहित्य के विकास के प्रमुख बिन्दु

इतिहास का अध्ययन मानव सभ्यता के विकास को समझने की एक वैज्ञानिक और तर्कसंगत विधा है। ‘हिस्ट्री’ (History) शब्द का ...
Read moreछायावादी काव्य की विशेषताएँ || chayavaad kavya ki viseshtaayen

लेख का पहला पैराग्राफ पाठकों को आकर्षित करने और विषय से परिचित कराने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसे ...
Read moreरीतिकाल और उसकी काव्य प्रवृत्तियाँ: विशेषताएँ, शैली और प्रभाव

'रीति' शब्द का प्रयोग निश्चित प्रणाली, ढंग और नियम के अर्थ में होता है । अतः रीतिकाल में हमारा अभिप्राय हिन्दी-साहित्य के उस काल से है, जिसमें निश्चित प्रणाली के अनुसार काव्य-कला का विकास हुआ।
Read moreमहावीर प्रसाद द्विवेदी : द्विवेदी युग और द्विवेदीयुगीन काव्यगत विशेषताएँ

महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी साहित्य के महान रचनाकारों में से एक थे, जिनका जन्म 1864 ई. में उत्तर प्रदेश के ...
Read moreद्विवेदी युग और द्विवेदी युग की नवजागरण परक चेतना

द्विवेदी युग को हिंदी साहित्य के जागरण और सुधार काल के रूप में जाना जाता है। इस युग का नामकरण ...
Read moreभारतेन्दु युगीन काव्य: विशेषताएँ और प्रवृत्तियाँ

द्विवेदी युग को हिंदी साहित्य के जागरण और सुधार काल के रूप में जाना जाता है। इस युग का नामकरण ...
Read moreभारतेन्दु युग: हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, उनकी रचनाएँ और सामाजिक योगदान

भारतेन्दु युग हिंदी साहित्य के पुनर्जागरण का प्रतीक है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के रचनाकाल को ध्यान में ...
Read moreआधुनिक काल का विस्तृत परिचय: हिन्दी गद्य का उद्भव, विकास और भारतेन्दु युग का योगदान

भारतीय इतिहास का आधुनिक काल 19वीं शताब्दी से प्रारम्भ होता है। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल की शुरुआत भारतेन्दु युग ...
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