ritikal ki visheshtaen रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ / रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

reetikaleen-kavya-ki-pramukh-pravrittiyan-रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ | रीतिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
'रीति' शब्द का प्रयोग निश्चित प्रणाली, ढंग और नियम के अर्थ में होता है । अतः रीतिकाल में हमारा अभिप्राय हिन्दी-साहित्य के उस काल से है, जिसमें निश्चित प्रणाली के अनुसार काव्य-कला का विकास हुआ।
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ghananand ka jivan parichay घनानंद का जीवन परिचय, रचनाएँ, काव्य-विशेषताएँ

घनानंद का जीवन परिचय, रचनाएँ, काव्य-विशेषताएँ एवं साहित्यिक योगदान
घनानंद हिंदी साहित्य के एक विलक्षण और अद्वितीय कवि थे, जिन्हें रीतिकाल के प्रमुख कवियों में स्थान प्राप्त है। उनका ...
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केशवदास का साहित्यिक परिचय दीजिए

केशवदास का साहित्यिक परिचय दीजिए
केशवदास भक्तिकाल के महत्वपूर्ण कवि थे, लेकिन संस्कृत साहित्य से अत्यधिक प्रभावित होने के कारण वे पारंपरिक हिंदी काव्य-धारा से ...
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कविवर बिहारी के जीवन परिचय-भाषा शैली और काव्य कला

कविवर बिहारी के जीवन परिचय-भाषा शैली और काव्य कला
 महाकवि बिहारी का जन्म संवत १६६० में ग्वालियर के समीप बसुआ गोविन्दपुर में हुआ था। आप मथुरा के चौबे थे। इनकी बाल्यावस्था अधिकतर बुन्देलखण्ड में बीती | तरुणावस्था में ये अपनी ससुराल चले आए। श्री राधाकृष्णदास ने इन्हें कविवर केशवदास का पुत्र स्वीकार किया है किन्तु सतसई में कुछ बुन्देलखण्डी शब्दों के प्रयोग से तथा केशव केशवराय से यह बात सिद्ध नहीं होती । मथुरा से ये तत्कालीन जयपुर नरेश महाराजा जयसिंह के पास चले आये वहाँ इन्होंने महाराज के प्रमोद के लिए सतसई की रचना की।
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रीतिकाल के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं ritikal ke kavi aur unki rachnaen

रीतिकाल के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं ritikal ke kavi aur unki rachnaen
हिंदी का रीतिकाल (1650-1850) भारतीय काव्य की महत्वपूर्ण धारा है, जो विशेष ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से उत्पन्न हुआ था। इस काल ...
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