कृष्णभक्ति शाखा, रामभक्ति शाखा यद्यपि दोनों शाखाओं का प्रचार एवं प्रसार भक्तिकाल में हुआ और दोनों शाखाओं का मुख्य लक्ष्य एक था किंतु दोनों शाखाओं में कुछ समानता और असमानताएँ थीं। यहाँ समानता पर एक दृष्टि डालिए ।
कृष्णभक्ति शाखा, रामभक्ति शाखा की समानतायें
Kriṣṇabhakti shakha, ram bhakti shakha ki tulna
(१) दोनों शाखाओं के प्रमुख कवियों ने निगुण-सगुण के दो भेद मानकर सगुण को प्रधानता दी है।
(२) दोनों शाखाओं का साहित्य पौराणिक प्रेरक के आधार पर आधारित
(३) दोनों शाखाओं के भक्त कवि उपासना पद्धति पर बल देते हैं
(४) दोनों भाग्य पर विश्वास रखते हैं और भगवान की कृपा ही जीवन यापन में प्रधान है ।
(५) भक्ति का स्थान कर्म और ज्ञान से ऊँचा है। इसे दोनों शाखाओं के कवि मानते हैं।
(६) दोनों शाखाओं के काव्य में भाव-पक्ष और कला पक्ष उचित और मर्यादापूर्ण ढंग से मिलता है।
(७) दोनों की भाषा सबल, सरस, सशक्त और प्रवाहित है।
(८) दोनों शाखाओं के कवि पहले भक्त थे बाद में कुछ और
(९) जहाँ तक आराधना का प्रश्न है दोनों अपने उपास्यदेव को प्रधानता देते थे।
(१०) दोनों शाखाओं के कवि विराग और अनुराग के महत्व को समझते थे ।
